हे पूज्य पिता
कितने तुफा कितनी मुश्किल । कितनी अड़चन कितनी बाधा।।
न रूके कहीं, न थके कहीं । न सहमे कहीं, न हारे कहीं ।।
जीत को लाए खींचकर सदैव । हे वीर पुरूष! हे पूज्य पिता ।।
जीवन की बघिया को सींचा । अपने विवेक अपने लहु से ।।
शख्त इतने की अपनों के दिल दहल जाए । नरम इतने कि शत्रु गले लग जाए ।।
यर्शअपयश की परवाह किए बगैर । सच्चाई की पथ पकड़ निरन्तर चले ।।
हर जीत की परवाह न की कभी । जीवन पथ को विस्तार दिया सुझ बुझ से ।।
जीवन के रास्ते पर हरदम । न्याय और सत् को करीब रखा सबसे ।।
करे लाखों नमन हे पूज्य पिता । सादर नमन है. हे पूर्ण पिता ।।
ईश्वर ने हमपर की विराट कृपा । आप जो मिले सम्पूर्ण पिता ।।
काटों पर हमें चलना सिखाया । पतझर में हमें हंसना सिखाया ।।
हे पूज्य पिता हे पूर्ण पिता । आप जैसा कौन इस जहां में ।।
आज धन्य घड़ी. आज शुभ घड़ी । आज है हमारे प्रिय पिता का जन्म दिवस ।
इस पूण्य दिवस पर हम सब भाई बहन । हाथ जोड़े खडे आपके समक्ष ।।
हमसे जीवन में जो जो भूलें हुई । उन्हें बिसरा देना हे पूज्य पिता ।।
आशिर्वाद हमें आज फिर से दो । न्याय और सत् पर हम सदैव चलें ।।
आपके गौरव को सारे जहां में । सबसे उपर रख पाएं सदा. हे प्रिय पिता ।।
साल पच्चासी तक जिस तरह सम्भाला । ह्दय से लगाकर आपने अपनों को ।।
भाई, बहन, इष्ट, मित्र, सगे - सम्बन्धी एक नजर में रखा सभी को ।।
हे ईश्वर! अरज हमारी । सुनलो बस इतनी ।।
पिता का साया सदैव हमारे । सर पर रहे कृपा करना तुम इतनी।।
विनित
आपके अपने
२५-१-२०१०