रविवार, 24 जनवरी 2010

बस हमारी माँ

हम ..........

हम सबकी माँ ........

कितनी कितनी कितनों की ही

बिगडी बात बनाती माँ

माँ होटो में ही

अपनी बात छुपाती माँ

मेरे तेरे इसके उसके दर्द से

रुआँसी माँ,

हम खा जाते चोट तो फिर,

हमको कैसे बहलाती माँ


रात काटती आँखों में जब

होते हम बीमार कभी,

सुबह सवेरे पर उनमें ही

सूरज नया उगाती माँ

भोर अंधेरे उठ जाती और सारे

काम सम्हालती माँ

रात अंधेरी जब छा जाती,

लोरी खूब सुनाती माँ

अब माँ के हाथ थके और

आँखों के सूरज बदराये,

फिर भी तो होटों पे हरदम

एक मुस्कान खिलाती माँ

हम माँ के पास रहें

या उससे दूर ही क्यूं न रहें,

वह रहती है मन में हरदम,

हम सबकी अपनी
माँ


1 टिप्पणी:

Seema Kejriwal ने कहा…

मेरे जीवन के बिखरे मोती की माला है माँ ,
मेरी आंखों के दर्पण की निर्मल ज्योति है माँ ,
तपती धूप में ममता की शीतल छाँव है माँ ,
दुःख के कटु क्षणों में एक मधुर मुस्कान है माँ ,
मेरे जीवन के इस गागर में प्यार का सागर है माँ ,
पिता है अगर नींव तो प्यार का संबल है माँ ,
त्याग और प्यार की सच्ची मूरत है माँ ,
इस दुनिया में भगवान की सबसे अनमोल सौगात है माँ !